
सेवा, समर्पण और संवेदनशीलता के प्रतीक – डॉ. आर. एस. मरकाम का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं। बलरामपुर के एक साधारण से गांव से सेवा शुरू कर इस डॉक्टर ने अपनी मेहनत और मानवता से खुद को एक मिशन बना लिया है।
बलरामपुर का नाम आते ही अगर स्वास्थ्य सेवाओं की बात हो, तो एक नाम सबसे पहले आता है – डॉ. आर. एस. मरकाम।
2002 में बलरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर चिकित्सा अधिकारी अपनी सेवा यात्रा शुरू करने वाले डॉ. मरकाम ने स्वास्थ्य सेवा को सिर्फ नौकरी नहीं, जनसेवा का माध्यम बना लिया।

15 वर्षों तक उन्होंने गांव-गांव जाकर इलाज किया, मरीजों के मन में भरोसा जगाया और सरकारी अस्पताल को ‘जनता का अस्पताल’ बना दिया।
उनकी सहजता, सरलता और सेवा भावना ने उन्हें जनता के दिलों में बसा दिया।
2017 में अंबिकापुर जिला अस्पताल स्थानांतरित होने के बाद भी डॉ. मरकाम का दिल बलरामपुर में ही धड़कता रहा।
उन्होंने पीजी करके गायनी विशेषज्ञ की उपाधि ली और अब अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बतौर सीनियर डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
लेकिन हाल ही में जब बलरामपुर में दो दिवसीय नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगा, तो उन्होंने स्वेच्छा से अपनी ड्यूटी बलरामपुर स्थानांतरित करवा ली।
पुराने मरीजों से मुलाकात, वर्षों पुराने रिश्तों का पुनर्मिलन, और आंखों में आंसू लिए धन्यवाद देते लोग – ये सब नज़ारे देखने लायक थे।

