
खैरागढ़/स्टेट हेड (राशिद जमाल सिद्दिकी) नेपाल के उप प्रधानमंत्री नारायण काजी श्रेष्ठा ने किया सम्मानित
सभी छात्र सफलता अर्जित करें ये मेरा एकमात्र लक्ष्य- मेदिनी होम्बल
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के भरतनाट्यम विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है मेदिनी होम्बल
डॉ. मेदिनी शेख होम्बल ने खैरागढ़ सहित प्रदेश और पूरे देश का नाम किया रौशन
तीन पीढ़ियों से मेदिनी होम्बल का परिवार भरतनाट्यम के क्षेत्र में देश की कर रहा सेवा

खैरागढ़. नेपाल देश में लर्निंग रीयलम नेशनल (एल.आर.आई.) फाउंडेशन एजुकेशनल ट्रस्ट और क्लासिक संस्कृति केंद्र द्वारा पहली बार आयोजित क्लासिक अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रीय नृत्य महोत्सव के अंतर्गत पुरस्कार समारोह 2024 में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के भरतनाट्यम विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मेदिनी होम्बल को “क्लासिक अंतर्राष्ट्रीय गुरु सम्मान” से विगत दिनों नवाजा गया. खास बात ये है कि डॉ. मेदिनी होम्बल को नेपाल के उप प्रधानमंत्री नारायण काजी श्रेष्ठा ने सम्मानित किया है और ये “क्लासिक अंतर्राष्ट्रीय गुरु सम्मान” पाकर उन्होंने संगीत नगरी खैरागढ़ ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश और देश को गौरवान्वित किया है. गौरतलब है मेदिनी होम्बल को भरतनाट्यम नृत्य के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने और इस क्षेत्र में उनकी अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए ही नेपाल देश में ‘क्लासिक इंटरनेशनल गुरु सम्मान 2024’ से नवाजा गया है. इस दौरान लर्निंग रीयलम नेशनल (एल.आर.आई.) फाउंडेशन एजुकेशनल ट्रस्ट और क्लासिक संस्कृति केंद्र के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने कहा कि डॉ. मेदिनी होम्बल शेख का भरतनाट्यम नृत्य कला के प्रति उनका जुनून आने वाली पीढ़ियों को भी बहुत प्रेरित करता रहेगा. खास बात ये है कि जब डॉ. मेदिनी होम्बल शेख को इस भव्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेपाल के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मामलों के मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठा ने सम्मानित किया उस दौरान क्लासिक कल्चर सेंटर के संस्थापक स्वोजन रघुबंशी, एलआरआई स्कूल के प्राचार्य डॉ. देवकांत जोशी, एलआरआई एजुकेशन ट्रस्ट के संस्थापक एवं चेयरमैन शिव राज पंत भी उपस्थित थे. खास बात ये है कि विश्वविद्यालय में मेदिनी के अंडर में पीएचडी कर रहे शोधार्थी स्वजन रघुवंशी ने अपनी संस्था के माध्यम से इस भव्य महोत्सव का आयोजन किया था और वो नेपाल देश में भरतनाट्यम नृत्य केंद्र चलाता है और इस कार्यक्रम में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के 3 शिक्षकों और 20 से अधिक छात्रों को भी पुरुस्कृत किया गया.
प्रसिद्ध नृत्यांगना मेदिनी होम्बल ने भरतनाट्यम में अपना जीवन समर्पित किया
खास बात ये है कि डॉ.शेख मेदिनी होम्बल ने भरतनाट्यम में अपना जीवन समर्पित कर दिया है और वो अनवरत इस क्षेत्र में छात्रों की कला को बेहतर ढंग से निखारने का काम कर रही है और लगभग 14 वर्ष से वो खैरागढ़ में छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रही है.
होम्बल परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रही मेदिनी
पाठकों को बता दे कि भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ.शेख मेदिनी होम्बल इस क्षेत्र में होम्बल परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं और विगत तकरीबन 14 वर्षों से वह छत्तीसगढ़ में अपने परिवार और अपने गुरुओं की विरासत का बेहतर प्रचार प्रसार कर अपना नाम संगीत जगत में देश दुनिया में अनवरत रोशन कर रही हैं. खास बात ये है कि डॉ. मेदिनी होम्बल की कोरियोग्राफी पारंपरिक होने के बावजूद 21वीं सदी की पीढ़ी को बेहद आकर्षित करती है और न केवल व्यावहारिक बल्कि नृत्य के सैद्धांतिक पहलुओं में भी मेदिनी की जबरदस्त पकड़ है और वह अपने छात्रों को भी नृत्य कला एवं संगीत के दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहती है.
अपनी विशिष्ट कार्यशैली से छात्रों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है
भरतनाट्यम में पारंगत प्रसिद्ध नृत्यांगना मेदिनी होम्बल अपनी विशिष्ट कार्यशैली से छात्रों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है और उनके कुशल मार्गदर्शन एवं बेहतर निर्देशन में बड़ी संख्या में छात्रगण राष्ट्रीय स्तर की छात्रवृत्ति और नेट आदि परीक्षाओं में बड़ी सफलता प्राप्त कर रहे है.
सभी छात्र सफलता अर्जित करें ये मेरा एकमात्र लक्ष्य- मेदिनी होम्बल
सभी छात्र सफलता अर्जित करें ये मेदिनी का एकमात्र लक्ष्य है. हमें प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. मेदिनी होम्बल ने बताया कि उनका लक्ष्य सभी छात्रों के लिए नृत्य के सिद्धांतों को बेहद आसान भाषा में सुलभ बनाना है और खास बात ये है कि मेदिनी के चर्चित बेहतरीन लेख और उनकी लिखी किताबें इसका एक बहुत ही आसान और शानदार उदाहरण हैं. मेदिनी ने कहा कि मैं इस क्षेत्र में पूर्ण रूप से पारंगत होंबल परिवार की सदस्य हूं और मैं होम्बल परिवार की तीसरी पीढ़ी की सदस्य हूं और मैं विगत 14 वर्षों से खैरागढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में भरतनाट्यम विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद में कार्यरत हूं।
मेदिनी के गुरु है दादा-दादी और मां-पिता, संगीत नगरी खैरागढ़ में भरतनाट्यम का पहला पाठ्यक्रम भी दादा-दादी के मार्गदर्शन में तैयार हुआ
गौरतलब है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में भरतनाट्यम विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शेख मेदिनी होम्बल के गुरु उनके दादा शंकर होम्बल और दादी श्रीमती गिरिजा देवी होम्बल ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भरतनाट्यम की स्थापना की थी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि संगीत नगरी खैरागढ़ में भरतनाट्यम का पहला पाठ्यक्रम भी मेदिनी होम्बल के दादा-दादी के ही बेहतर मार्गदर्शन में तैयार हुआ था वही मेदिनी के ही गुरु उनके पिता प्रेमचंद होम्बल और उनकी मां श्रीमती माला होम्बल भी विगत कई दशक से उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भरतनाट्यम को अनवरत बढ़ावा दे रहे हैं.
पिता को मिल चुका राष्ट्रपति से पुरुस्कार
खास बात ये है कि मेदिनी के पिता प्रेमचंद होम्बल को पूर्व में इस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्यों के लिए भारत के राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार भी मिल चुका है वही हमारे देश भारत और अमेरिका में डॉ. मेदिनी होम्बल की सगी मौसियां और चचेरी बहनें भी भरतनाट्यम क्षेत्र में अनवरत कार्य कर रही हैं, इस तरह हम कह सकते है कि डॉ. मेदिनी होम्बल का पूरा परिवार भरतनाट्यम नृत्य कला के क्षेत्र में कई पीढ़ियों से अनवरत कार्य कर मिशाल कायम कर रहा है.