
अंबिकापुर-बलरामपुर(आफताब आलम की रिपोर्ट)छत्तीसगढ़ में हर दिन सैकड़ों लोग स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं। उनकी यह नेक पहल अनगिनत जिंदगियों को बचाने के लिए की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो रक्त मुफ्त में दान किया जाता है, वह जरूरतमंदों तक पहुँचने में कई बार भारी कीमत वसूलता है? यह कहानी उन गरीब मरीजों की है, जिनके लिए ब्लड की एक बोतल जिंदगी और मौत का सवाल बन जाती है।रक्तदान के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने काफी प्रगति की है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा आयोजित कैंपों में हजारों लोग निस्वार्थ भाव से रक्तदान करते हैं। लेकिन जब बात ब्लड की उपलब्धता की आती है, तो एक कड़वी सच्चाई सामने आती है। कई ब्लड बैंकों, में, रक्त के लिए मरीजों से भारी शुल्क वसूला जाता है। अगर मरीज के पास पैसे नहीं हैं, तो उसे बदले में रक्त दान करने वाला डोनर लाने को कहा जाता है। लेकिन क्या होगा अगर एक गरीब मरीज के पास न तो पैसे हों और न ही कोई डोनर?

सूत्रों से प्राप्त जानकारी में एक पीड़ित ने बिना अपना नाम बताए बताया कि“मेरे पति को आपातकाल में ब्लड की जरूरत थी। हमने कई ब्लड बैंकों में संपर्क किया, लेकिन हर जगह पैसे या डोनर की मांग की गई। हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि हम ये खर्च उठा सकें, उनकी यह कहानी अकेली नहीं है। छत्तीसगढ़ में लाखों गरीब मरीज ऐसी ही स्थिति का सामना करते हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता और नियम की कमी इस समस्या का प्रमुख कारण है। जिससे गरीब मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।”क्या इसका कोई समाधान है? विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी ब्लड बैंकों की संख्या और उनकी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, रक्तदान के बाद ब्लड की उपलब्धता को पूरी तरह मुफ्त या न्यूनतम लागत पर सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत बदलाव की जरूरी हैं। सामाजिक संगठनों और एनजीओ को भी इस दिशा में जागरूकता फैलाने और मुफ्त ब्लड उपलब्ध कराने की पहल करनी होगी।यह समय है कि हम सब मिलकर इस सवाल का जवाब खोजें: जब रक्त मुफ्त में दान किया जाता है, तो जरूरतमंद को उसकी कीमत क्यों चुकानी पड़ती है? समाज और सरकार को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि रक्तदान की भावना हर जरूरतमंद तक बिना किसी कीमत के पहुँचे।

आप भी इस मुद्दे पर अपनी राय साझा करें और रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने में योगदान दें।
