बलरामपुर में कांग्रेस प्रभारी जेपी श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता कर सरकार के युक्तियुक्तकरण का विरोध किया

भाजपा सरकार के  10463 स्कूल बंद करना शिक्षा विरोधी, रोजगार विरोधी कदम है।

शिक्षकों की नई भर्तियां न करनी पड़े इसलिए साय सरकार शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कर रही है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षड्यंत्र रचा है-जेपी श्रीवास्तव

बलरामपुर/(शोएब सिद्दिकी) बलरामपुर जिला मुख्यालय के राजीव भवन में, कांग्रेस के जिला प्रभारी तथा प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जेपी श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता कर भाजपा सरकार के युक्तियुक्तकरण का विरोध करते हुए सरकार की कार्यप्रणाली को गलत ठहराया है। कांग्रेस प्रभारी ने कहा कि युक्तियुक्तकरण  रोजगार विरोधी, शिक्षा विरोधी कदम है। इससे प्रदेश में 45000 से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त हो जायेंगे।

10463 स्कूल सीधे तौर पर बंद कर दिये गये है, नये सेटअप के नाम पर स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदो की संख्या में कटौती करके शिक्षक के हजारों पद खत्म कर दिया गया है। रमन सरकार के दौरान भी प्रदेश में 3300 से अधिक स्कूलों को बंद किया गया था, 12000 शिक्षकों के पद को खत्म किया गया था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में प्राइमरी स्कूलों में 21 छात्रो के बीच एक शिक्षक है, इस अनुपात को बढ़ाकर 30 छात्र प्रति शिक्षक और इसी तरह मीडिल स्कूलों में 26 छात्र प्रति शिक्षक के रेसिया को बढ़ाकर 35 छात्र प्रति शिक्षक किया जा रहा है। जिससे शिक्षको के एक तिहाई पद खत्म हो जायेंगे। नये शिक्षकों की भर्तियां न करनी पड़ी इसलिए युक्तियुक्तकरण कर रही सय सरकार। सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षड्यंत्र रचा है। साय सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा नुकसान बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा।

शिक्षकों की नई भर्तियां न करनी पड़े इसलिए साय सरकार शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कर रही है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षड्यंत्र रचा है। प्राथमिक शालाओं में पहली व दूसरी में तीन-तीन विषय एवं तीसरी, चौथी, पांचवी में चार-चार विषय के अनुसार कुल 18 विषय होते हैं, जिन्हें वर्तमान समय में तीन शिक्षकों को 40 मिनट का 6-6 कक्षा लेना होता है, अब युक्तियुक्तकरण के नए नियम के बाद दो ही शिक्षको के द्वारा 18 कक्षाओं को पढ़ाना कैसे संभव हो सकता है? मिडिल स्कूल में तीन क्लास और 6 सब्जेक्ट इस हिसाब से कुल 18 क्लास और 60 बच्चों की कुल संख्या में एचएम और उसके साथ केवल एकमात्र शिक्षक कैसे 18 क्लास ले पाएंगे? इसके अतिरिक्त मध्यान भोजन की व्यवस्था डाक का जवाब और अन्य गैर शिक्षकीय कार्यों की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर रहेगी।

स्कूलों को जबरिया बंद किए जाने से न केवल शिक्षक बल्कि उन 10463 स्कूलों से संलग्न हजारों रसोईया, स्लीपर और मध्यान भोजन बनाने वाली महिला, स्वसहायता समूह की बहनों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है। नए सेटअप के तहत सभी स्तर प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलो में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में कटौती के चलते युवाओं के लिए नियमित शिक्षक के पद पर नई भर्ती के अवसर भी कम हो जाएंगे, शिक्षा के स्तर पर बुरा असर पड़ना निश्चित है। अधिनायकवादी भाजपा सरकार ने इतना बड़ा अव्यवहारिक निर्णय लेने से पहले ना प्रभावित वर्ग से चर्चा की, न ही प्रदेश के भविष्य के बारे में सोचा। इतना बड़ा निर्णय थोपने से पहले न शिक्षक संगठनों की राय ली गयी, न पालक संघ से पूछा गया, न ही शिक्षाविद और छात्र संगठनों से कोई चर्चा की गयी। सरकार के इस शिक्षा विरोधी फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में आक्रोश है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हो प्रदेश में 58000 से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं, हर महीने सैकड़ो शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, कई वर्षों से शिक्षकों का प्रमोशन रुका हुआ है, स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस पॉलिसी बना नहीं पाए, समयमान वेतनमान का विवाद अब तक लंबित है ऐसे में युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों को डरा कर वसूली करना चाहती है यह सरकार।

भाजपा सरकार 10 हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने जा रही तथा 45000 से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त कर रही है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों विशेषकर बस्तर, सरगुजा, जशपुर जैसे जगहों पर स्कूलों की कमी होगी, सरकार झूठ बोल रही कि स्कूल बंद नहीं होंगे, जबकि सच्चाई यह है कि मर्ज किये गये स्कूलों का डायस कोड़ विलोपित कर दिया गया है। भाजपा ने विधानसभा चुनावों में दावा किया था राज्य में 58000 शिक्षकों के पद खाली है। विधानसभा में घोषणा किया 35000 पद भरे जायेंगे, इस वर्ष बजट में भी 20000 शिक्षकों की भर्ती की बात की गयी है लेकिन यह भर्तियां नहीं करनी पड़े, इसलिये 45000 पद समाप्त किये जा रहे है। जब पद ही खाली नही रहेंगे तो भर्ती कहां से करेंगे। युक्तियुक्तकरण शिक्षा विरोधी, रोजगार विरोधी कदम है। 10 हजार स्कूलों के बंद होने से रसोईया, चौकीदार, भृत्य जैसे पद भी समाप्त होंगे हजारों लोगों के रोजगार के अवसर समाप्त होंगे। कांग्रेस इसके खिलाफ जमीनी लड़ाई लड़ेगी अब सभी जिलों एवं ब्लाकों में आंदोलन चलायेंगे, शीघ्र ही आंदोलन का कार्यक्रम, तिथि और स्वरूप की घोषणा करेगी।

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